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ग्रामीण इलाके के प्राइमरी स्कूल के शिक्षक, अपने छात्र-छात्राओं की डिजिटल साक्षरता का स्तर बढ़ा रहे हैं

रेमन लोपेज़ वेलार्दे प्राइमरी स्कूल, राज्य की राजधानी से 100 मील दूर जिस इलाके में है वहां साल 2018 की शुरुआत तक न तो फ़ोन सिग्नल आते थे और न ही इंटरनेट सिग्नल. इसलिए, कक्षा में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल संभव ही नहीं था. हालात ऐसे थे कि बच्चों को पढ़ाने के लिए, शिक्षकों को अतिरिक्त संसाधन खोजने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता था. वे अपने लेसन बेहतर तरीके से पढ़ाने और बच्चों को प्रेरित करने के तरीके खोज रहे थे.

हल

स्कूल में Google for Education के साथ मिलकर चलाए जा रहे डिजिटल प्रोग्राम, अपरेंदे का शुरू होना एक बहुत बड़ा बदलाव था. खास तौर पर, होसे के लिए. उन्होंने बिना वक्त गंवाएं इस प्रोग्राम के तहत कराए जा रहे सभी ऑनलाइन कोर्स किए. साथ ही, वे कोर्स भी किए जिनके लिए उन्हें व्यक्तिगत तौर पर कक्षा में उपस्थित होना था. "इस प्रोग्राम के ज़रिए मुझे अपनी कक्षा छठवीं के बच्चों के लिए बेहतर तरीके से सीखने के कई अवसर दिखे. इस शैक्षणिक सत्र के अंत में ये बच्चे मिडिल स्कूल में पहुंच जाएंगे. इस प्रोग्राम के ज़रिए मैंने नए कौशल सीखने के साथ ही इन टूल का इस्तेमाल सीखा और सिखाया, ताकि जब बच्चे मिडिल स्कूल में पहुंचे, तो वे इनका इस्तेमाल कर सकें". इस बदलाव की शुरुआत 2018–2019 में हुई जब स्कूल को इस प्रोग्राम के तहत डिवाइस मिले. इससे पहले बच्चों को Google Workspace for Education और Chromebook के बारे में कुछ नहीं पता था. जुलाई 2018 में होसे लुईस, ज़काटेकस में अपने पहले ट्रेनिंग सेशन में शामिल हुए. बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ाने के लिए, वे क्या और कैसे कर सकते हैं, उनके ऐसे सवालों के जवाब उन्हें ट्रेनिंग से मिले. वे मानते हैं कि शुरुआत में बहुत कम समय में बहुत सारी जानकारी एक साथ मिल रही थी. इसलिए, वे अक्सर समझ ही नहीं पाते थे कि हो क्या रहा है. धीरे-धीरे वे और दो अन्य शिक्षक, कॉन्सेप्ट और टूल समझने लगे. उन्हें वक्त इसलिए भी लगा, क्योंकि यह उनके लिए बिल्कुल नया अनुभव था. उन्हें समझ आया कि Google Docs का इस्तेमाल दस्तावेज़ के लिए और Google Sheets का इस्तेमाल स्प्रेडशीट पर काम करने के लिए किया जाता है. धीरे-धीरे उन्हें समझ आया कि वे नए टूल का इस्तेमाल कर रहे हैं. होसे के मन में सिर्फ़ एक विचार था कि जैसे भी मुमकिन हो उन्हें यह सब सीखना है और अपने छात्र-छात्राओं को सिखाना है. इसके बाद अपना और अपने छात्र-छात्राओं का Google Workspace खाता बनाकर, होसे ने Chromebook और Google Workspace for Education का इस्तेमाल करके सीखने-सिखाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू किया. होसे कहते हैं कि "इसका इस्तेमाल शुरू करने के बाद मुझे एहसास हुआ कि इसमें हर उपयोगकर्ता का अपना एक अलग खाता होता है, इसका मतलब है कि आप स्टोरेज या मेमोरी की चिंता किए बिना जो चाहें बना सकते हैं. इसके बाद, मैंने अपने छात्र-छात्राओं को कहा कि वे जब भी कंप्यूटर का इस्तेमाल करें, तो अपने खाते से लॉग इन करें." स्कूल में छह में से तीन शिक्षकों ने अपनी तीसरी, पांचवीं, और छठवीं कक्षा के कुल मिलाकर 65 बच्चों के लिए, Google के टूल का इस्तेमाल करना शुरू किया है. स्कूल में कुल 112 बच्चे हैं. कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी कक्षा में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. होसे लुईस कहते हैं कि उनकी कक्षा के बच्चे बहुत आत्मविश्वास के साथ Google Workspace और Chromebook का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्हें पता है कि कोई नया दस्तावेज़ कैसे बनाया जाता है. उन्हें Docs में मौजूद अलग-अलग फ़ंक्शन और उनके काम करने के तरीके भी पता हैं. वे प्रोग्रामिंग से जुड़े कुछ काम भी कर चुके हैं. हालांकि, स्कूल में 30% बच्चों को कंप्यूटर इस्तेमाल करना आता है, क्योंकि उनके घर पर कंप्यूटर है, लेकिन बाकी के 70% बच्चों को शिक्षकों ने सिखाया है. होसे लुईस को पता है कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अच्छी तरह सीखने-सिखाने में समय लगेगा. हालांकि, वे इस बात से खुश हैं कि हर दिन सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में थोड़ा आगे बढ़ रहे हैं. सीखने के लिए बच्चों के उत्साह से ही उन्हें भी प्रेरणा मिलती है: "इस तरह हम रोज़ कुछ नया और बेहतर सीखते हैं. हालांकि, मुझे पता है कि अभी हमें काफ़ी कुछ सीखना-सिखाना है. टूल का इस्तेमाल करने और उनके बारे में जानने के लिए बच्चों का उत्साह, मुझे बेहतर तरीके आज़माने के लिए प्रेरित करता है. अब हमारे स्कूल के बच्चे रोज़ स्कूल आते हैं. क्योंकि, मैंने उनसे कहा है कि अगर वे छुट्टी लेंगे, तो कंप्यूटर इस्तेमाल करना नहीं सीख पाएंगे. यह तरीका कारगर साबित हुआ".

पढ़ाने के लिए टूल का इस्तेमाल

छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के उत्साह की वजह से ही पढ़ने-पढ़ाने के तौर-तरीके बेहतर हुए हैं. मज़ेदार गतिविधियों की मदद से बच्चे अब बेहतर तरीके से शब्दों को पढ़ और लिख पाते हैं. खेल-खेल में कराई जाने वाली इन गतिविधियों की मदद से बच्चों को ज़्यादा शब्दों की और उनके इस्तेमाल की जानकारी मिली है. उदाहरण के लिए, कक्षा छठवीं के बच्चों ने स्पैनिश सीखते वक्त इसकी प्रैक्टिस करने के लिए, एक कहानी को Google Classroom, Google Docs, Google Slides का इस्तेमाल करके कविता, नाटक, गीत वगैरह के रूप में पेश किया. इस तरह, अपनी कल्पना और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके वे अपनी क्रिएटिविटी डेवलप कर रहे हैं और बच्चों को सुनाई जाने वाली कहानियों को नए तरीके से पेश कर रहे हैं. "मैंने बच्चों को पढ़ाने के लिए इनके इसी उत्साह को बनाए रखने वाले तौर-तरीकों का इस्तेमाल करना शुरू किया."

डिजिटल कौशल

अपरेंदे 2.0 प्रोग्राम का लक्ष्य है कि प्राइमरी स्कूल के बच्चे और शिक्षक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके, डिजिटल कौशल और कंप्यूटेशनल थिंकिंग सीखें. Google for Education का मिशन है ऐसी टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराना जो इस्तेमाल में आसान, किफ़ायती, और प्रॉडक्टिव होने के साथ ही अलग-अलग बजट और ज़रूरत के मुताबिक हो, ताकि सीखने-सिखाने के लिए बेहतर तौर-तरीके अपनाने में स्कूलों को मदद मिले. रेमन लोपेज़ वेलार्दे प्राइमरी स्कूल के छठवीं कक्षा के 22 बच्चों और शिक्षक, होसे लुईस वाज़केज़ से सीखा जा सकता है कि कैसे अपने सपनों को सच करते हैं. उनके स्कूल में अब Google के टूल उपलब्ध हैं और वे इनका इस्तेमाल भी करते हैं. अब वे Chromebook डिवाइसों का इस्तेमाल करना जानते हैं. वे कोड का इस्तेमाल करके, Google Classroom में शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा, एक ही प्लैटफ़ॉर्म पर साथ मिलकर काम और एक-दूसरे से बातचीत कर सकते हैं. हालांकि, सबसे अहम बात यह है कि अब वे Chromebook का इस्तेमाल कुछ सीखने के लिए करते हैं. पहले उन्हें लगता था कि कंप्यूटर सिर्फ़ गेम खेलने के लिए हैं, लेकिन अब वे उसका बेहतर इस्तेमाल करना जानते हैं. छात्र-छात्राएं इसका इस्तेमाल टेक्स्ट कॉपी करने, उसमें बदलाव करने, अपने असाइनमेंट करने, मिलकर काम करने, जानकारी शेयर करने और कुछ सीखने के लिए करते हैं.

"कुछ नया करने का मतलब है, किसी काम को अलग और बेहतर तरीके से करना. अगर हम अपने काम करने के तरीके बदलने या बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो मैं मानता हूं कि हम कुछ नया कर रहे हैं. आज भी हम कई ऐसे कॉन्सेप्ट या विषय पढ़ा रहे हैं जो पहले पढ़ाते थे, लेकिन उन्हें पढ़ाने का तरीका नया है. इसी तरह, हम हर दिन पढ़ाने और सीखने से जुड़ी नई गतिविधियां करने की कोशिश भी करते हैं."

José Luis Vásquez, कक्षा छठवीं के शिक्षक, रेमन लोपेज़ वेलार्दे प्राइमरी स्कूल

नतीजे

होसे लुईस वाज़केज़ के मुताबिक, टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर बच्चे काफ़ी उत्साहित थे, लेकिन उनके लिए सबसे अहम बात यह थी कि इससे बच्चे आत्मनिर्भर बन सकते हैं और स्कूल के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी: "बच्चों को पहले से ही पता था कि वे कभी भी अपने ईमेल पते से साइन इन करके, Google Workspace के टूल का इस्तेमाल कहीं भी कर सकते हैं. यह एक बहुत बड़ी बात है, क्योंकि इससे पता चलता है कि बच्चे कितने आत्मनिर्भर हैं. उन्हें टेक्नोलॉजी से जुड़े कुछ शब्दों और भाषा के बारे में पहले से पता था. वे दस्तावेज़, स्प्रेडशीट, प्रज़ेंटेशन, और Google Classroom के बारे में जानते थे. वे बोलकर टेक्स्ट लिखवा सकते थे और उन्हें पता था कि YouTube पर कोई वीडियो कैसे खोजना है. यहां हम ग्रामीण इलाकों के स्कूलों की बात कर रहे हैं जहां आम तौर पर, टेक्नोलॉजी की पहुंच नहीं है. ऐसी स्थिति में बच्चों को इतनी जानकारी होना बहुत बड़ी बात है".

अगले चरण
होसे लुईस वाज़केज़ को यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि अब कक्षाओं में टेक्नोलॉजी का काफ़ी इस्तेमाल होने लगा है, हालांकि वे मानते हैं कि अब भी बहुत कुछ सीखना और आज़माना बाकी है और वे इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं: "टूल मिलने पर मैं उनका इस्तेमाल करने और सीखने के लिए बिल्कुल तैयार हूं. टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का फ़ायदा न सिर्फ़ हमें, बल्कि बच्चों को भी मिला है. मैं इसका इस्तेमाल अपने छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य के लिए करता हूं और इसके लिए मैं जो कर सकता हूं, करूंगा". रेमन लोपेज़ वेलार्दे प्राइमरी स्कूल में होसे के कक्षा छठवीं के छात्र-छात्राएं उन 21,000 बच्चों और 2,000 शिक्षकों में शामिल हैं जिन्हें अपरेंदे 2.0 प्रोग्राम के तहत Google for Education इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी गई और इसका फ़ायदा मिला.

शिक्षकों की तरफ़ से शिक्षकों के लिए

होसे लुईस वाज़केज़ दूसरे शिक्षकों को ये सलाह देते हैं कि वे अपरेंदे 2.0 प्रोग्राम के बारे में ज़्यादा जानें और इसके तहत, Google for Education की ट्रेनिंग लेकर पढ़ने-पढ़ाने के लिए उपलब्ध अन्य बेहतरीन टूल के बारे में भी जानें: "बहुत से शिक्षकों को इनके बारे में पता ही नहीं है. वे नहीं जानते कि इनके इस्तेमाल से वे अपना काम कितना आसान बना सकते हैं और ये टूल कितने अच्छे से काम करते हैं. इनका इस्तेमाल हम अपने प्रोफ़ेशनल डेवलपमेंट के लिए भी कर सकते हैं और छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए भी. अगर हम इनका इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो हम बच्चों को भी इनका इस्तेमाल नहीं सिखा पाएंगे. हमें बच्चों के नज़रिए से सोचना होगा, क्योंकि उनका बेहतर भविष्य हमारी ज़िम्मेदारी है. पूरे ज़काटेकस में सिर्फ़ चार स्कूलों में यह प्रोग्राम चल रहा है और हमारा स्कूल उनमें से एक है. हमारे लिए यह बहुत खास बात है. अब अगर कोई ऐसे अवसर का लाभ न ले पाए, तो मेरी नज़र में नुकसान उसका ही है".

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