शिक्षकों को समझाना
अपने प्लान के पहले हिस्से पर काम करने के लिए, पीटरसन और उनकी टीम ने सभी कर्मचारियों के साथ, ग्रुप और 1:1 मीटिंग का आयोजन किया. इस तरह उन्होंने शिक्षकों से अपने प्लान के बारे में बात की और उन्हें सिखाया. हालांकि, ऐसा करने से पहले उन्हें यह समझना था कि शिक्षकों को टेक्नोलॉजी के बारे में कितनी जानकारी है, वे इसका इस्तेमाल किस तरह करते हैं, और वे टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में किन चुनौतियों का सामना करते हैं.
इसे समझने के लिए एक सर्वे कराया गया. इसमें पता लगाया गया कि शिक्षकों और मैनेजमेंट को टेक्नोलॉजी के बारे में कितनी जानकारी है. इसके अलावा, वे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने में कितने सहज हैं, इसका भी आकलन किया गया. इस सर्वे के नतीजे के तौर पर बहुत सारे जवाब मिले जिनकी मदद से, प्रोफ़ेशनल डेवलपमेंट (पीडी) प्लान पर काम करने के लिए सहमति बनी. इस प्लान के ज़रिए ‘जल्द ही सीखने वाले’ लोगों के साथ-साथ उन लोगों की पहचान भी की गई जो व्यक्तिगत तौर पर सहायता मिलने से और बेहतर कर सकते थे.
इस प्लान के साथ शुरुआत में जुड़ने वाले शिक्षकों को प्रोफ़ेशनल डेवलपमेंट के लिए बाहरी संसाधन दिए गए. इनमें से पांच शिक्षक, Google सर्टिफ़ाइड एजुकेटर बने. इससे, बाद में जो शिक्षक जुड़े उनकी बुनियादी ट्रेनिंग के लिए, संसाधन मिल गए. साथ ही, ज़्यादा बेहतर जानकारी वाले उपयोगकर्ताओं के लिए, लेसन से जुड़े प्रैक्टिकल आइडिया मिले. शुरुआत में ही सीखने वाले शिक्षकों को टेक्नोलॉजी के जानकार के तौर पर पहचान दी गई. इससे, वे लोग अपने साथी शिक्षकों को सिखाने लगे. इसके लिए शिक्षक, ग्रुप पीडी सेशन और 1:1 मीटिंग में अपनी जानकारी शेयर करने लगे.
कर्मचारियों को Google Workspace और Chromebook का इस्तेमाल रोज़ाना करने के लिए बढ़ावा देकर, उनके कौशल और योग्यता को बढ़ाना भी इस प्लान का अहम हिस्सा था. शिक्षकों को हर मीटिंग में अपना Chromebook साथ लाने के लिए कहा गया. साथ ही, मीटिंग के मिनट, मीटिंग से जुड़ी जानकारी, और शिक्षा से जुड़े तरीकों के बारे में Google Doc पर साथ मिलकर काम करने के लिए कहा गया. धीरे-धीरे, उन्होंने देखा कि बॉम्बे स्कूल के सभी लेवल के कर्मचारियों में Chromebook और Google Workspace के सभी ऐप्लिकेशन को इस्तेमाल करने का आत्मविश्वास और योग्यता बढ़ी है.
पीटरसन अपनी बात खत्म करते हुए कहते हैं, “यह हम सबकी यात्रा है. यह डरावनी भी है और मज़ेदार भी, क्योंकि जब आप अपने दायरे से बाहर निकलते हैं, तब ही कुछ नया सीखते हैं.”