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वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 2030 तक, मौजूदा समय के 65% छात्र-छात्राएं ऐसी नौकरियां कर रहे होंगे जो फ़िलहाल मौजूद नहीं हैं. स्कूल और लर्निंग लीडर से सलाह मशवरा करने के बाद, नाथन ने यह तय किया कि टिंडल स्कूल की यह ज़िम्मेदारी है कि वे छात्र-छात्राओं को, साथ मिलकर सीखने वाले कौशल सिखाएं. कुछ ऐसे हुनर, जो नाथन को लगता है कि आने वाले समय में करियर बनाने के लिए ज़रूरी होंगे.
साल 2017 में, जूनियर स्कूल में Chromebook को आज़माने वाले पायलट प्रोग्राम की सफलता के बाद, टिंडल क्रिश्चियन स्कूल, अब बाकी स्कूलों में Chromebook और Google Workspace for Education का इस्तेमाल शुरू करने वाला है. इस प्रोजेक्ट को 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा.
नाथन कहते हैं, “हम पायलट प्रोजेक्ट के दौरान, Chrome एडमिन पोर्टल में मौजूद अहम जानकारी का इस्तेमाल करते रहे हैं. यह जानकारी Chrome Education Upgrade में मौजूद है. इससे हमें लर्निंग टूल के तौर पर Chromebook के इस्तेमाल, छात्र-छात्राओं की कक्षा में होने वाली गतिविधियों में दिलचस्पी के साथ ही छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के बीच होने वाली बातचीत को ट्रैक करने में मदद मिली.” “हमने 2019 में, छठी कक्षा के लिए, Chromebook को एक टूल के तौर पर इस्तेमाल करने से शुरुआत की. हमारा लक्ष्य है कि 2021 तक मिडिल स्कूल भी Chromebook को लर्निंग टूल की तरह इस्तेमाल करे.”
Chromebook के इस्तेमाल को लेकर शिक्षकों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए, नाथन ने 'स्कूल कम्यूनिटी मॉर्निंग्स' की शुरुआत की, ताकि शिक्षक नई टेक्नोलॉजी के बारे में सीख सकें. साथ ही, अपने छात्र-छात्राओं और साथी शिक्षकों को Chromebook इस्तेमाल करने के बारे में ज़रूरी जानकारी दे सकें.
नाथन ने ‘टेक कोच’ का चुनाव किया. ये प्रॉडक्ट के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं. इनका काम दूसरे शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ जानकारी शेयर करना है.
उन्होंने कहा, “शिक्षक अपने छात्र-छात्राओं को पढ़ाने और कक्षाओं के काम में पूरे दिन व्यस्त रहते हैं. इस वजह से, उनके लिए यह मुश्किल है कि वे दूसरी कक्षाओं और स्कूलों में जाकर देखें कि वहां के लोग अपने लक्ष्य पूरे करने के लिए, किस तरह से कक्षा में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसलिए, शिक्षकों को ज़रूरी कौशल सिखाना और संसाधनों के बारे में जानकारी देना ज़रूरी है.”
नाथन, मंगलवार की सुबह 7.45 से 8.20 तक 'टेकी ब्रेकी' सेशन चलाते हैं. यहां शिक्षकों को, कक्षा में Google प्रॉडक्ट इस्तेमाल करना सिखाया जाता है.
“मैं Google सर्टिफ़ाइड एजुकेटर हूं. इसलिए, मेरा काम है शिक्षकों की सहायता करना, जब वे कक्षाओं में नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू करते हैं.”
शुरुआत में कुछ शिक्षक तैयार नहीं थे, लेकिन नाथन और उनकी टीम की दिलचस्प तकनीकों की मदद से, उन्हें लगा कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सुरक्षित है. साथ ही, नए सिस्टम और सीखने के नए तरीकों के लिए उनका आत्मविश्वास बढ़ा.
“उन्हें एहसास है कि यह सीखने के बारे में है और अगर वे अपनी पढ़ाई में दिलचस्पी लेते हैं, तो यह उनके लिए सबसे अच्छी चीज़ है. अगर वे छात्र-छात्राओं को, काम में आने वाली चीज़ें सिखा सकते हैं, तो वे आगे बढ़ सकते हैं.”