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शिकागो पब्लिक स्कूल्स में, 3,00,000 Chromebook का इस्तेमाल शुरू करने से मिली सीख

शिकागो पब्लिक स्कूल्स के बारे में जानकारी

शिकागो पब्लिक स्कूल्स (सीपीएस), संयुक्त राज्य अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा स्कूल डिस्ट्रिक्ट है. सीपीएस, 642 स्कूलों, 25,000 शिक्षकों, और 3,50,000 से ज़्यादा छात्र-छात्राओं का घर है. स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की हाल ही की स्टडी के मुताबिक, शिकागो पब्लिक स्कूल्स के छात्र-छात्राएं, देश के 96 प्रतिशत स्कूल डिस्ट्रिक्ट के छात्र-छात्राओं की तुलना में तेज़ी से सीखते हैं.

“कई शिक्षक, सिखाने के ऐसे बेहतर तरीके खोजने के लिए तैयार हैं जिनकी अभी कल्पना भी नहीं की जा सकती. वे पहले से ही पूछ रहे हैं कि अब अगला चरण क्या है. जैसे, उन्होंने ऑगमेंटेड रिएलिटी (एआर) और वर्चुअल रिएलिटी (वीआर) के बारे में सोचना शुरू कर दिया है. उन्हें अब जानना है कि इन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. यह देखना दिलचस्प रहेगा कि इससे पढ़ने-पढ़ाने के तरीके में कैसा बदलाव आएगा.”

Ronald Carroll, इंस्ट्रक्शनल टेक्नोलॉजी मैनेजर, शिकागो पब्लिक स्कूल्स

बड़े स्तर पर आसानी से Chromebook रोल आउट कर पाने का राज़ है बेहतर डिवाइस मैनेजमेंट

किसी डिस्ट्रिक्ट के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के लिए 300 Chromebook को रोल आउट करने के लिए बहुत सावधानी से योजना बनानी होती है. यह संख्या 3,000 तक बढ़ा दी जाए, तो आईटी मैनेजर और इंस्ट्रक्शनल टेक्नोलॉजिस्ट को, रोल आउट करने की योजना, प्रोफ़ेशनल डेवलपमेंट, और टेस्टिंग का काम तेज़ी से और बड़े स्तर पर करना होगा. शिकागो पब्लिक स्कूल्स (सीपीएस) डिस्ट्रिक्ट में 3,50,000 छात्र-छात्राएं हैं. इनके लिए 3,00,000 Chromebook की ज़रूरत थी.

इस डिस्ट्रिक्ट में इंस्ट्रक्शनल टेक्नोलॉजी मैनेजर, रॉनल्ड कैरोल बताते हैं कि उन डिवाइसों के लिए बेहतर मैनेजमेंट कंट्रोल बहुत ज़रूरी हैं जिन्हें हज़ारों-लाखों लोगों के लिए रोल आउट किया जाता है. खास तौर पर, यह उन डिस्ट्रिक्ट के लिए अहम है जहां टेक्नोलॉजी चुनने और उसके इस्तेमाल से जुड़े फ़ैसले लेने का अधिकार अलग-अलग लोगों में बंटा होता है. साथ ही, जहां ये फ़ैसले हर स्कूल की खास ज़रूरतों के हिसाब से अलग-अलग होते हैं.

कैरोल कहते हैं, “मैनेजमेंट के लिहाज़ से Chromebook, यानी Admin console और Chrome Education Upgrade का इस्तेमाल करने से 1:1 प्रोग्राम को चलाने में सचमुच बहुत मदद मिली है.” “खास तौर पर, स्कूल लेवल पर कुछ ए़़डमिन टास्क डेलिगेट करने की सुविधा का बहुत फ़ायदा हुआ है. इससे स्कूल आसानी से ऐप्लिकेशन और एक्सटेंशन चुन पाते हैं. साथ ही, होम स्क्रीन में पसंद के मुताबिक बदलाव कर पाते हैं.”

यह समझना कि कक्षा में डिवाइसों का इस्तेमाल “क्यों” करना चाहिए

इस डिस्ट्रिक्ट में Chromebook का पहली बार इस्तेमाल 2012 में शिकागो अकैडमी हाई स्कूल ने किया. इस स्कूल में कैरोल, टेक्नोलॉजी कोऑर्डिनेटर थे. कैरोल कहते हैं, “उस समय हमारे स्कूल में एक दूरदर्शी प्रिंसिपल थे जिन्हें Chromebook को आज़माना था, क्योंकि मार्केट में Chromebook बिल्कुल नए थे.” सबसे पहले, छोटे से कॉलेज प्रेप स्कूल की जूनियर क्लास ने 100 Chromebook को आज़माया था.

कैरोल को यह पक्का करना था कि डिवाइस इस्तेमाल करने की कोई अहम वजह हो, ताकि सिर्फ़ टेक्नोलॉजी के नाम पर कक्षा में डिवाइस न रख दिए जाएं. उस समय यही उनकी सबसे बड़ी चिंता थी. कैरोल कहते हैं, “हमें एक खास सवाल का जवाब पाने से शुरुआत करनी थी कि कक्षा में डिवाइसों का इस्तेमाल ‘क्यों’ करना चाहिए. यह विचार बहुत अहम था, क्योंकि दुनिया तेज़ी से बदल रही है और हमें छात्र-छात्राओं को ऐसी नौकरियों के लिए तैयार करना है जो अभी तक मौजूद ही नहीं हैं. हमारा मानना है कि इसमें टेक्नोलॉजी एक अहम भूमिका निभा सकती है. इसलिए, शिक्षण में भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना ज़रूरी था, न कि सिर्फ़ कुछ एडमिन टास्क करने के लिए. “आपको टेक्नोलॉजी को एक ऐसे टूल के तौर पर देखना होगा जो शिक्षकों के लिए बहुत काम का है, क्योंकि वे ही हैं जो कक्षा में इसे बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं.”

Google Workspace ने Chromebook के इस्तेमाल और साथ मिलकर काम करने को बढ़ावा दिया

जब शिकागो अकैडमी हाई स्कूल ने Chromebook का इस्तेमाल करना शुरू किया, तब करीब-करीब उसी समय पूरे डिस्ट्रिक्ट में 3,00,000 छात्र-छात्राओं और 25,000 शिक्षकों ने Google Workspace की सेवाओं को अपनाया. कैरोल कहते हैं, “हमने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि हमारा मकसद शिक्षकों और छात्र-छात्राओं के लिए ज़्यादा खुला और सहयोगी वर्कस्पेस बनाना था.” कई मायनों में, अलग-अलग स्कूलों को अपने फ़ैसले खुद लेने की अनुमति देने से उनका सशक्तीकरण हो रहा था. हालांकि, उनकी अलग-अलग राय की वजह से, सब कुछ मैनेज करना ही मुश्किल हो गया था. इससे शिक्षकों और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ़ के सदस्यों के बीच जानकारी भी शेयर नहीं हो पा रही थी और वे एक-दूसरे से काम करने के बेहतर तरीके नहीं सीख पा रहे थे.

डिस्ट्रिक्ट में FirstClass OpenText ईमेल सिस्टम की जगह Gmail ने ले ली. इससे शिक्षकों और एडमिन को एक-दूसरे से संपर्क और बातचीत करने का एक बेहतर तरीका मिल गया. चौथी और इसके आगे की कक्षाओं के छात्र-छात्राओं का भी Gmail खाता बनाया गया. Google Workspace और Gmail के आने के साथ-साथ डिवाइसों के लिए डिस्ट्रिक्ट लेवल पर तकनीकी सहायता उपलब्ध होने से, 2015 में स्कूलों में बहुत ज़्यादा Chromebook आने शुरू हुए. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि इन डिवाइसों की मदद से छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के लिए Google Workspace के टूल इस्तेमाल करना बहुत आसान है.

साल 2019 के आखिर तक, इस डिस्ट्रिक्ट में Samsung और Dell के 3,00,000 Chromebook जोड़ दिए गए हैं. स्कूल चलाने वालों को अब भी अपनी पसंद की टेक्नोलॉजी चुनने की छूट है. हालांकि, कैरोल कहते हैं, “ज़्यादातर स्कूल Chromebook को चुन रहे हैं. हमें अच्छा लगता है कि ये डिवाइस आसानी से बैकग्राउंड में अपने-आप अपडेट हो जाते हैं, क्योंकि अपडेट होने से ये ज़्यादा सुरक्षित हो जाते हैं. साथ ही, शिक्षकों और छात्र-छात्राओं के लिए यह बहुत फ़ायदेमंद है कि Chromebook तुरंत चालू हो जाते हैं.”

वैसे सीपीएस में Gmail और Chromebook पहले आए थे और हर कक्षा में इस्तेमाल किए जा रहे थे. Google Classroom इनके बाद आया था, लेकिन अब उसका इस्तेमाल सबसे ज़्यादा किया जाता है. कैरोल कहते हैं, “यह बहुत जल्दी लोकप्रिय हो गया था.” “यह छात्र-छात्राओं के माता-पिता के साथ बेहतर तरीके से बातचीत करने के लिए एक बढ़िया टूल साबित हुआ है, क्योंकि इसी काम को करने में कुछ शिक्षकों को समस्या आती है.” इस ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल करने पर माता-पिता को अपने बच्चों से स्कूल के असाइनमेंट और उनकी प्रोग्रेस के बारे में बार-बार अपडेट नहीं लेना पड़ता, क्योंकि वे खुद इसमें सारे अपडेट देख सकते हैं. अब वे फ़ाइनल ग्रेड के अलावा, दूसरी जानकारी भी पा सकते हैं. साथ ही, बच्चे स्कूल की पूरी अवधि के दौरान अपनी परफ़ॉर्मेंस को ट्रैक कर सकते हैं.

डिस्ट्रिक्ट और स्कूल-लेवल कंट्रोल के लिए डिवाइस मैनेजमेंट

Chrome Admin Console में बहुत ज़्यादा कंट्रोल मिलते हैं, इसलिए सीपीएस स्कूल लीडर के लिए डिवाइसों को मैनेज करना बहुत आसान हो जाता है. यह काम, Chromebook को रोल आउट करने की प्रक्रिया को स्ट्रीमलाइन करने के दौरान किया जा सकता है. डिस्ट्रिक्ट के आईटी लीडर ने जब से डिवाइसों को एक ही जगह से मैनेज करना शुरू किया है, तब से उन्होंने यह भी महसूस किया है कि Chromebook को मैनेज करने में अन्य डिवाइसों की तुलना में कम समय लगता है.

कैरोल कहते हैं, “Chromebook को मैनेज करने में कम समय लगता है, इसलिए हमारी आईटी मैनेजमेंट टीम का सिर्फ़ एक व्यक्ति एक बटन पर क्लिक करके पूरे डिस्ट्रिक्ट के हर Chromebook को मैनेज कर सकता है.” “यह कितनी बढ़िया बात है.”

पूरे डिस्ट्रिक्ट की ज़रूरतों के हिसाब से ऐप्लिकेशन या एक्सटेंशन खोजने के लिए, आईटी मैनेजर के पास Chromebook App Hub का इस्तेमाल करने का विकल्प है. इनमें Gopher Buddy ऐप्लिकेशन भी शामिल है. इसकी मदद से, डेटा के इस्तेमाल से जुड़ी अहम जानकारी देखी जा सकती है. डिस्ट्रिक्ट का Admin console, आईटी मैनेजर को ऐप्लिकेशन उपलब्ध कराने या अलग-अलग स्कूलों को कुछ खास सेटिंग का कंट्रोल असाइन करने की सुविधा देता है. उदाहरण के लिए, ऐसे स्कूल जो Lego का MINDSTORMS ऐप्लिकेशन ऑफ़र करना चाहते हैं.

“ट्रेन द ट्रेनर” पीडी मॉडल

बेहतर मैनेजमेंट के अलावा, प्रोफ़ेशनल डेवलपमेंट न सिर्फ़ डिवाइसों को रोल आउट करने के लिए अहम है, बल्कि इससे यह भी पक्का किया जाता है कि कक्षा में उनका इस्तेमाल हर दिन किया जाए. कैरोल कहते हैं, “इसमें दस्तावेज़ों को मैनेज करने से जुड़े सामान्य टूल का इस्तेमाल करना भी शामिल है, जिसे मैं ‘बटन-मैशिंग’ कहता हूं.” “यह समझना ज़रूरी होता है कि कहां क्लिक करना है.”

हालांकि, कैरोल यह पक्का करना चाहते हैं कि शिक्षक बुनियादी बातों से परे जाकर पढ़ने-पढ़ाने के नए और अनूठे तरीके खोज सकें. साथ ही, टेक्नोलॉजी टूल की मदद से दिलचस्प लेसन बनाने में अहम भूमिका निभा सकें. वे और डिस्ट्रिक्ट लेवल के अन्य आईटी लीडर, हर स्कूल में टेक्नोलॉजी से जुडे़ काम करने वाले लोगों को सहायता देते हैं. इन लोगों का मूल काम अक्सर स्कूल की लाइब्रेरी की देखरेख करना होता है. कैरोल ने 2018 में, 40 स्कूलों के करीब-करीब 140 शिक्षकों को ट्रेनिंग देने के लिए “ट्रेन द ट्रेनर” प्रोग्राम लॉन्च किया.

वे कहते हैं, “विचार यह है कि शिक्षकों को साथ मिलकर एक इंटरनल सपोर्ट टीम बनानी चाहिए. इस हिसाब से हर स्कूल के लिए करीब चार शिक्षकों की एक टीम होनी चाहिए.” “ऐसा नहीं होना चाहिए कि हर स्कूल में एक ही व्यक्ति के पास सभी सवालों के जवाब हों. यही सबसे बड़ी समस्या है. एक सपोर्ट टीम बनाने पर, ऐसे एक से ज़्यादा व्यक्ति होंगे जो सभी सवालों के जवाब दे पाएंगे. समय के साथ, इस टीम में शामिल शिक्षकों को दूसरे शिक्षकों को भी ट्रेनिंग देनी चाहिए, ताकि सबको ट्रेनिंग देने का काम जल्दी से पूरा हो सके.”

शिक्षकों के लिए साल में दो बार होने वाली टेक्नोलॉजी कॉन्फ़्रेंस में कक्षा से जुड़ी टेक्नोलॉजी के बारे में अहम जानकारी मिलती है. एक कॉन्फ़्रेंस अप्रैल में और दूसरी गर्मियों की छुट्टियों के दौरान होती है. कैरोल कहते हैं, “हम डिस्ट्रिक्ट में प्रोफ़ेशनल डेवलपमेंट पर पहले से ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि हमें कक्षा में सीखने-सिखाने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए उपलब्ध हर तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना है.” “हमें यह पक्का करना है कि जब किसी भी तरह की ट्रेनिंग दी जाए, तो उसमें टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाए, ताकि छात्र-छात्राओं की सीखने में दिलचस्पी बढ़े और वे बेहतर तरीके से सीख सकें.”

शिक्षकों को Google Workspace का इस्तेमाल करने से जुड़े नए और अनूठे तरीके खोजने के लिए प्रेरित करना

कैरोल ने डिस्ट्रिक्ट स्कूलों का दौरा करने के बाद पाया कि Chromebook और Google Workspace के इस्तेमाल से सीखने और सिखाने का तरीका बहुत बेहतर हो गया है. खास बात यह है कि इसके बारे में शिकागो अकैडमी हाई स्कूल के प्रिंसिपल ने 2012 में ही बता दिया था. कैरोल कहते हैं, “अब लोग यह सवाल नहीं करते कि उन्हें डिवाइसों की ज़रूरत है या नहीं. अब वे यह सवाल करते हैं कि पढ़ने में छात्र-छात्राओं की दिलचस्पी बढ़ाने और कक्षा में साथ मिलकर सीखने को बढ़ावा देने के लिए इन डिवाइसों का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है.”

पढ़ने के पुराने और नए तरीके में एक खास अंतर यह भी है कि अब इन टूल का इस्तेमाल करने से छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के बीच बातचीत का तरीका भी बेहतर हो गया है. कैरोल कहते हैं, “इसका एक उदाहरण यह है कि जो छात्र-छात्राएं सवाल पूछने या बातचीत में हिस्सा लेने से झिझकते हैं वे अब Google Classroom का इस्तेमाल करने के दौरान, टिप्पणी वाले बॉक्स में अपने सवाल पूछ सकते हैं और बातचीत कर सकते हैं. इससे इन छात्र-छात्राओं के सिर से बोझ हट जाता है. साथ ही, इन्हें अपने हिसाब से सीखने और बातचीत में हिस्सा लेने में भी मदद मिलती है.”

जैसे-जैसे शिक्षक “बटन-मैशिंग” की बुनियादी बातें जान रहे हैं वैसे-वैसे डिवाइसों पर लेसन सीखने-सिखाने के नए-नए तरीके भी खोज पा रहे हैं. इससे उनका रचनात्मक कौशल बेहतर हो रहा है. कैरोल कहते हैं, “कई शिक्षक, सिखाने के ऐसे बेहतर तरीके खोजने के लिए तैयार हैं जिनकी अभी कल्पना भी नहीं की जा सकती.” “वे पहले से ही पूछ रहे हैं कि अब अगला चरण क्या है. जैसे, उन्होंने ऑगमेंटेड रिएलिटी (एआर) और वर्चुअल रिएलिटी के बारे में सोचना शुरू कर दिया है. उन्हें अब जानना है कि इन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. यह देखना दिलचस्प रहेगा कि इससे पढ़ने-पढ़ाने के तरीके में कैसा बदलाव आएगा.”

एक नज़र में

वे क्या करना चाहते थे

  • कक्षा में पढ़ने-पढ़ाने के लिए डिवाइसों को इंटिग्रेट करना
  • शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को Chromebook इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग देना
  • इन डिवाइसों का इस्तेमाल “क्यों” करना चाहिए, इस बारे में चर्चा को बढ़ावा देना

उन्होंने क्या किया

  • 2012 से Chromebook का इस्तेमाल शुरू किया
  • डिस्ट्रिक्ट में साल-दर-साल Chromebook जोड़ते गए. इस तरह कई सालों में 3,00,000 Chromebook जोड़ दिए गए
  • डिस्ट्रिक्ट लेवल पर “ट्रेन द ट्रेनर” प्रोग्राम बनाया

उन्होंने क्या हासिल किया

  • डिस्ट्रिक्ट को Admin console की मदद से सभी डिवाइसों को एक ही जगह से मैनेज करने की सुविधा मिली
  • शिक्षकों को कक्षा में निर्देश देने के लिए, नई टेक्नोलॉजी के अन्य विकल्पों को भी खोजने की प्रेरणा मिली

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