फ़ायदे
सीखने-सिखाने का नया तरीका
Google Workspace को किसी भी डिवाइस से ऑनलाइन ऐक्सेस किया जा सकता है. इससे छात्र-छात्राएं कक्षा में, घर पर या किसी भी जगह से पढ़ाई कर सकते हैं. अमारू स्कूल की 10 साल की छात्रा सोफ़ी कहती हैं, "यूनिवर्सल प्लैटफ़ॉर्म से बेहतर अनुभव मिलता है. इसकी वजह से आपका सारा काम एक ही जगह पर सेव रहता है और कुछ भी खोने का डर नहीं होता."
छात्र-छात्राएं लेसन को अकेले पूरा करने के बजाय अब उस पर साथ मिलकर काम कर सकते हैं. इसके अलावा, उन्हें शिक्षकों से अपने असाइनमेंट की जांच करवाने के लिए इंतज़ार करने की ज़रूरत भी नहीं है. वे Google Docs और Sheets का इस्तेमाल करके अपनी प्रगति को ट्रैक करने के साथ-साथ रीयल-टाइम में सुझाव या राय दे सकते हैं और पा सकते हैं. \सोफ़ी कहती हैं, "हमने गणित का प्री-टेस्ट क्विज़ किया और उसके नतीजों से हमें हमारी तैयारी के बारे में पता चला." "हमने उन चीज़ों के बारे में बात की जिन पर हमें काम करना था और एक कक्षा के तौर पर हमने यह तय किया कि हमें किन फ़ील्ड में सुधार की ज़रूरत है."
Google Classroom का इस्तेमाल करके, शिक्षक यह देख सकते हैं कि किस छात्र/छात्रा ने असाइनमेंट पूरा किया और किसने नहीं. साथ ही, वे छात्र-छात्राओं को सीधे तौर पर रीयल-टाइम में सुझाव दे सकते हैं. इसके अलावा, वे छात्र-छात्राओं के काम को ग्रेड भी दे सकते हैं. इसके लिए, उन्हें एक भी पेपर को प्रिंट करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. माता-पिता, अब अपने बच्चों की पढ़ाई के बारे में बेहतर तरीके से जानकारी रख सकते हैं. \मैक्वेरी प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका सामंथा वानसिंक कहती हैं, "सीखने का समय सिर्फ़ सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक नहीं होता." “Google के टूल ‘कक्षा के दायरे को बड़ा करते हैं’, जिससे अलग-अलग परिवारों के सदस्य उन तरीकों को एक-दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं जिनका इस्तेमाल वे अपने बच्चों को सिखाने में करते हैं."
सीखने के लिए बनाए गए टूल को आसानी से इस्तेमाल करना
डायरेक्ट्रेट ने शिक्षकों और छात्र-छात्रओं के लिए एक “डिजिटल बैकपैक” बनाया, जिसमें Google Classroom और Google Workspace एक ही डैशबोर्ड में उपलब्ध हैं. छात्र-छात्राओं को अपने Google खाते के लिए एक लॉगिन और पासवर्ड मिलता है. वे इसका इस्तेमाल प्राइमरी से लेकर सेकंडरी स्कूल तक करते हैं. छात्र-छात्राओं के ये लर्निंग पोर्टफ़ोलियो हर साल सेव किए जाते हैं, ताकि उनके अभिभावक उनकी प्रगति को ट्रैक कर सकें और अपने बच्चों की उपलब्धियों पर खुशियां मना सकें. शिक्षक अब छात्र-छात्राओं के काम और उनकी प्रगति पर, बेहतर तरीके से और हर पहलू से निगरानी रख सकते हैं. साथ ही, छात्र-छात्राओं को आसानी से अपनी कक्षाओं में जोड़ सकते हैं.
बदलाव के लिए छात्रों को सशक्त बनाना
अमारू स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन के प्रमुख सदस्यों ने छात्र-छात्राओं से पूछा कि अच्छी टेक्नोलॉजी वाला और नए तरीके का लर्निंग सिस्टम बनाने के लिए उन्हें क्या चाहिए. छात्र-छात्राओं से मिले सुझावों से न सिर्फ़ स्कूल को इन्फ़ॉर्मेशन ऐंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) प्लान बनाने में मदद मिली, बल्कि इसके आधार पर डायरेक्ट्रेट ने Google Workspace for Education प्लैटफ़ॉर्म का इस्तेमाल भी शुरू किया. इसके बाद, छात्र-छात्राओं ने एक ग्रुप बनाया, जिसका नाम एएसटीईसी (अमारू स्कूल टेक्निकल एक्सपीरियंस क्रू) है. यह ग्रुप उन छात्र-छात्राओं को टेक्निकल सपोर्ट देता है जिन्हें टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में परेशानी आती है. इसके लिए, यह ग्रुप Google Forms का इस्तेमाल करता है. छात्र-छात्राएं सहायता के लिए इसमें अनुरोध दर्ज करते हैं. साथ ही, Google Groups का इस्तेमाल करके वे अनुरोध में मिले सवालों का हल एक-दूसरे के साथ शेयर करते हैं. एएसटीईसी की सदस्य सोफ़ी कहती हैं, "हमें ऐसे काम करने का अनुभव मिलता है जो Google Workspace को इस्तेमाल करने से पहले नहीं किया जा सकता था." "हमें अपने स्कूल में ही काम करने का अनुभव मिल रहा है."
नतीजे
Chromebook और Google Workspace का पूरे डिस्ट्रिक्ट में इस्तेमाल शुरू करके, एसीटी एजुकेशन डायरेक्ट्रेट ने छात्र-छात्राओं को अपने आइडिया शेयर करने के लिए एक बेहतर प्लैटफ़ॉर्म दिया है. अब छात्र-छात्राएं रीयल टाइम में, अपने साथियों को सुझाव दे सकते हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर सकते हैं. \ब्रे कहते हैं, "Chromebook और Google Workspace ने टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को आसान बना दिया है. अब शिक्षक टेक्नोलॉजी को समझने में अपना समय बर्बाद करने के बजाय अपना सारा ध्यान बच्चों को पढ़ाने में लगाते हैं. इससे, बच्चों को सीखने-समझने के बेहतर मौके और माहौल मिल पाता है."
डिस्ट्रिक्ट की सभी कक्षाओं में होने वाली गतिविधियों में छात्र-छात्राओं की दिलचस्पी बढ़ी है. मैकग्रेगर प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका रेने वाटर्स एक उदाहरण शेयर करती हैं: “ब्रेडन से लिखवाना बहुत मुश्किल था. उसे हाथ से लिखना बिल्कुल पसंद नहीं था. उसे कुछ वाक्य लिखने में ही 45 मिनट से ज़्यादा लग जाते थे. Google Docs का इस्तेमाल शुरू करने के बाद और फटाफट सुझाव मिलने की सुविधा से, ब्रेडन ने सिर्फ़ 45 मिनट के एक लेसन के बाद ही बढ़िया असाइनमेंट पेश किया. ऐसा करने के लिए, उसने इन सुविधाओं के साथ ही, Chromebook और Read&Write ऐप्लिकेशन की भी मदद ली."
\वानसिंक कहती हैं, "Chromebook और Google Workspace for Education से छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई पर ज़्यादा ध्यान दे पा रहे हैं और अच्छी तरह सीख रहे हैं." “अब छात्र-छात्राएं एक-दूसरे से जुड़कर, और चीज़ों को बारीकी से समझकर, आत्मविश्वास के साथ अपनी पहचान बना सकते हैं."