टॉरंगा गर्ल्स कॉलेज एक सेकंडरी स्कूल है जो न्यूज़ीलैंड के टॉरंगा, नॉर्थ आइलैंड में स्थित है. यहां पर NCEA (न्यूज़ीलैंड का शिक्षा बोर्ड) सिस्टम के तहत पढ़ाया जाता है. इसकी स्थापना 1958 में हुई थी. इसे राज्य सरकार से फ़ंड मिलता है. इस स्कूल में 9वीं से लेकर 13वीं कक्षा तक की 1400 छात्राएं पढ़ती हैं जिनकी उम्र 12 से 18 साल है.
टॉरंगा गर्ल्स कॉलेज ने छात्राओं के लिए सीखने के तरीकों को बेहतर बनाने, सिस्टम की कमियों को दूर करने, और सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में पूरे स्कूल को शामिल करने के लिए, BYOC (अपना Chromebook लाएं) प्रोग्राम की शुरुआत की
परफ़ॉर्मेंस, इस्तेमाल में आसान, और किफ़ायती दाम जैसी चीज़ें हमारे लिए फ़ायदेमंद साबित हुईं
काइली वैलेंटाइन, डेप्युटी प्रिंसिपल, टॉरंगा गर्ल्स कॉलेज
एक नज़र में
वे क्या करना चाहते थे
- पुराने और सही तरीके से काम न करने वाले हार्डवेयर को अपडेट करना
- सीखने और आगे बढ़ने में छात्राओं की मदद करने के लिए, बेहतर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना
- शिक्षकों और छात्राओं को साथ मिलकर काम करने के लिए बढ़ावा देना
- ऐसा तरीका खोजना जिससे डिवाइसों को घर और स्कूल, दोनों जगहों पर सही और सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किया जा सके
उन्होंने क्या किया
- स्कूल के मालिकाना हक वाले डिवाइसों और अपना डिवाइस लाएं (BYOD) सिस्टम के ज़रिए, सभी छात्राओं के लिए Chromebook, Chrome Education Upgrade, और Google Workspace for Education का इस्तेमाल शुरू किया गया
- स्कूल में अलग-अलग तबकों से आने वाली बच्चियों के लिए अच्छा और किफ़ायती प्लान लाया गया
- बेहतर और सभी के लिए उपलब्ध टेक्नोलॉजी की मदद से छात्राओं की भागीदारी बढ़ाई गई
- छात्राओं के परिवारों को यह अधिकार दिया गया कि वे अपनी बच्चियों के लिए, घर और स्कूल दोनों जगहों पर या सिर्फ़ स्कूल में डिवाइसों को इस्तेमाल करने का विकल्प चुन सकें
उन्होंने क्या हासिल किया
- कक्षा में और कक्षा से बाहर, सीखने-सिखाने के तरीके और बेहतर हुए. इससे छात्र-छात्राओं के लिए पढ़ाई आसान हुई, साथ ही यहां के स्टाफ़ के लिए मैनेजमेंट का काम भी आसान हुआ
- अब 95% शिक्षक, क्लासवर्क मैनेज करने के लिए Google टूल इस्तेमाल करते हैं
- शिक्षकों में Google टूल और पढ़ाने के नए-नए तरीके इस्तेमाल करने के लिए आत्मविश्वास आया है
- टॉरंगा गर्ल्स कॉलेज की ओर से दिए गए विकल्पों की मदद से स्कूल से जुड़े लोग, घर और स्कूल, दोनों जगहों पर डिवाइसों का इस्तेमाल कर सकते हैं
चुनौती
Tauranga Girls College needed to upgrade their outdated technology hardware and learning systems to improve efficiency and results, both in and out of the classroom. Staff and students were keen to move to an online approach using the Cloud to allow anywhere, anytime learning and to give families the opportunity to use Chromebooks at home and school.
हल
टॉरंगा गर्ल्स कॉलेज ने दो साल पहले 9वीं कक्षा के लिए, BYOC (अपना Chromebook लाएं) प्रोग्राम के ज़रिए, Google Chromebook का इस्तेमाल शुरू किया था. अब, 9वीं और 13वीं कक्षा की सभी छात्राएं, BYOC प्रोग्राम में शामिल हैं और जल्द ही, 9वीं कक्षा के नए सेशन की छात्राओं को भी इस प्रोग्राम में शामिल किया जाएगा. यह तब तक जारी रहेगा, जब तक कि इस प्रोग्राम को सभी के लिए शुरू नहीं कर दिया जाता
डेप्युटी प्रिंसिपल काइली वैलेंटाइन और उनकी टीम अगले कुछ सालों में सभी कक्षाओं के लिए, Chromebook से सीखने-सिखाने का प्लान बना रही है. वे चाहते हैं कि शिक्षक और छात्राएं एक जैसी टेक्नोलॉजी पर काम करें, ताकि इसका इस्तेमाल करके आगे बढ़ सकें.
काइली कहती हैं, “यह ध्यान रखना चाहिए कि सीखने के लिए, लोगों को ज़रूरत के मुताबिक समय दिया जाए, तभी वे दूसरों को भी सही से सिखा सकेंगे”. काम से जुड़े ज़रूरी कौशल सिखाने वाले वर्कशॉप में, Google Workspace for Education के Forms जैसे बुनियादी प्रॉडक्ट के साथ ही, बेहतर सुविधाओं और टूल के बारे में भी बताया जाता है. “हम समझते हैं कि हर किसी की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है.”
“उस समय हमारे पास ‘COWS’ (कंप्यूटर ऑन व्हील्स) नाम के सिस्टम थे. वे सभी Microsoft के प्रॉडक्ट थे. उन्हें चालू होने में करीब 23 मिनट लगते थे. जब हमने उन डिवाइसों को तुरंत चालू होने वाले Chromebook से बदला, तो हमारी एक बड़ी परेशानी खत्म हो गई.”
काइली वैलेंटाइन, डेप्युटी प्रिंसिपल, टॉरंगा गर्ल्स कॉलेज
फ़ायदे
साथ काम करने की सुविधा, किफ़ायती दाम, और समय की बचत
स्कूल में Chromebook और Google टूल का इस्तेमाल करने के फ़ायदे शिक्षकों, छात्राओं, और तानोय (रिश्तेदारों के लिए इस्तेमाल होने वाला माओरी शब्द) के लिए, अलग-अलग हैं. काइली कहती हैं, टॉरंगा गर्ल्स कॉलेज के लिए, साथ काम करने की सुविधा, किफ़ायती दाम, और समय की बचत सबसे बढ़िया फ़ायदे साबित हुए हैं.
Google Workspace for Education को खास तौर पर सीखने-सिखाने, पढ़ाई से जुड़े कामों को मैनेज करने, और शिक्षकों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं की सहायता के लिए लॉन्च किया गया है. काइली कहती हैं, “Google ने हम सभी को सीखने और साथ मिलकर बेहतर काम करने का प्लैटफ़ॉर्म दिया है.”
Google Classroom के इस्तेमाल से छात्राओं को भी फ़ायदा हो रहा है.
हो सकता है कि शुरुआत में शिक्षकों को इसे सेट अप करना पड़े, लेकिन छात्राएं साथ काम करने की सुविधा से इतनी खुश हैं कि बाद में वे ही इसका इस्तेमाल कुशलता से सीख जाएंगी. इसका मतलब है कि हम अपने तरीकों पर लगातार काम जारी रख सकते हैं.
किफ़ायती, असरदार समाधान
काइली कहती हैं, “परफ़ॉर्मेंस, इस्तेमाल में आसान, और किफ़ायती दाम जैसी चीज़ें हमारे लिए फ़ायदेमंद साबित हुईं.” छात्राएं अलग-अलग सामाजिक-आर्थिक तबके से आती हैं, इसलिए स्कूल को एक ऐसे सिस्टम की ज़रूरत थी जो किफ़ायती हो और हार्डवेयर के मामले में टिकाऊ हो. Chrome Education Upgrade की मदद से, BYOC प्रोग्राम और स्कूल के अन्य डिवाइसों को मैनेज करना आसान और किफ़ायती हो गया.
घर और स्कूल के लिए डिवाइस
Chromebook का इस्तेमाल छात्र-छात्राएं, स्कूल में पढ़ाई करने के लिए और परिवार के लोग, घर पर अपने काम के लिए कर सकते हैं. न्यूज़ीलैंड का टॉरंगा गर्ल्स कॉलेज, Chrome Education Upgrade में शामिल, 'कुछ घंटों के लिए डिवाइस को बंद करने की नीति' का सबसे पहले इस्तेमाल करने वाले स्कूल में से एक है. स्कूल ने डिवाइसों के इस्तेमाल को लेकर, अपनी रणनीति में समय के साथ कई बदलाव किए हैं. इसके तहत, उन्होंने डिवाइसों को घर और स्कूल में आसान और सुरक्षित ढंग से इस्तेमाल करने के तरीके अपनाए और सिखाए हैं.
काइली कहती हैं, “हमारे सभी तानोय के लिए, यह आसान और प्रेरक प्रक्रिया रही है. हमारे लिए यह पक्का करना अहम था कि वे समझें कि यह उनकी बेटियों की शिक्षा के लिए ज़रूरी है.”
शिक्षकों को टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करना
काइली कहती हैं, छात्राओं के लिए मैनेजमेंट सिस्टम बनाकर यह पक्का करना हमारी ज़िम्मेदारी थी कि डिवाइसों का इस्तेमाल सही तरीके से हो और तानोय को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने वाली सही एजेंसियों के बारे में बताया जाए. इसके बाद, स्कूल का फ़ोकस अपने शिक्षकों को ट्रेनिंग देना था.
वे कहती हैं कि 'हमारे शिक्षक’, 'काम में अपनी रुचि खोने लगे थे'. इसके अलावा, स्कूल के लिए रणनीति तैयार करने वाली मीटिंग में भी वे अपने सुझाव नहीं देते थे. वे कम जानकारी शेयर करते थे, बहुत कम सीखते थे, और उससे भी कम सहयोग करते थे. इसका नतीजा यह था कि मीटिंग और बातचीत का एक ऐसा मॉडल बन गया जिसमें हमारे शिक्षक, मैनेजमेंट के सामने अपनी बात नहीं रखते थे. Google Workspace ने मुझे अपने कॉलेज के शिक्षकों की इन आदतों को बदलने का एक मौका दिया और शिक्षकों को अपनी बात करने के लिए आत्मविश्वास.
शिक्षकों को काम से जुड़े कौशल सीखने के लिए समय दिया जाता है, ताकि वे सही तरीके से सीखकर स्कूल के दूसरे लोगों को भी सिखा सकें.
हमने अपने कुछ शिक्षकों को Google सर्टिफ़ाइड एजुकेटर बनने के लिए बढ़ावा दिया और सीखने के लिए उन्हें अतिरिक्त समय दिया गया. इसका नतीजा यह है कि अब वे अपने काम में विशेषज्ञ हैं.
तुरंत चालू होना
टॉरंगा गर्ल्स कॉलेज के शिक्षक इस अपडेट का इस्तेमाल करके काम करना चाहते थे, लेकिन अपने सीमित समय में कुछ नया सीखने को लेकर परेशान भी थे.
हालांकि, जब उन्होंने देखा कि Chromebook तुरंत चालू हो जाता है, तब इस पर काम करने के लिए, खुशी से तैयार हो गए.
काइली कहती हैं, “हमारे पास हार्डवेयर और नेटवर्क का एक पुराना सिस्टम था, जिसमें कई गड़बड़ियां थीं. जब हम शिक्षकों को किसी काम के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के लिए कहते, तब कभी वाई-फ़ाई की रफ़्तार धीमी हो जाती, तो कभी उनका डिवाइस ही चालू नहीं होता. इसके अलावा, अगर हम उन्हें किसी प्रोग्राम के बारे में सीखने के लिए कहते, तो वे घर जाकर उस पर घंटों मेहनत करते और कुछ नया बनाने की कोशिश करते, लेकिन जब वे कक्षा में पढ़ाना शुरू करते, तो वह चालू ही नहीं होता”.
“उस समय हमारे पास ‘COWS’ (कंप्यूटर ऑन व्हील्स) नाम के सिस्टम थे. वे सभी Microsoft के प्रॉडक्ट थे. उन्हें चालू होने में करीब 23 मिनट लगते थे. जब हमने उन डिवाइसों को तुरंत चालू होने वाले Chromebook से बदला, तो हमारी एक बड़ी परेशानी खत्म हो गई.”
नतीजे
टॉरंगा गर्ल्स कॉलेज के शिक्षकों में आत्मविश्वास और मैनेजमेंट पर भरोसा बढ़ा है. अब वे सबके सामने अपनी बात रख सकते हैं और चर्चा कर सकते हैं. शिक्षकों में अब जानकारी शेयर करने को लेकर भी नया उत्साह दिख रहा है – साथ काम करने की आसान सुविधा से, सीखने-सिखाने का काम पहले जितना मुश्किल नहीं रहा, क्योंकि बहुत सारी जानकारी, अहम दस्तावेज़, और टास्क अब एक ही जगह पर मिल जाते हैं.
कहीं भी और कभी भी दस्तावेज़ों को ऐक्सेस करने और उन पर मिलकर काम करने की सुविधा से, उत्पादकता बढ़ी है और समय की बचत हो रही है. साथ ही, Chromebook की भरोसेमंद परफ़ॉर्मेंस और तेज़ रफ़्तार की मदद से, अब ज़्यादा लोग साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
छात्राओं और तानोय (रिश्तेदारों के लिए इस्तेमाल होने वाला माओरी शब्द) को Chromebook डिवाइसों की परफ़ॉर्मेंस और कीमत पसंद आई. साथ ही, स्कूल के सभी लोग भी डिवाइसों की भरोसेमंद परफ़ॉर्मेंस और इस्तेमाल के तरीकों से बहुत खुश हुए. 'कुछ घंटों के लिए डिवाइस को बंद करने की नीति' का अच्छा असर हुआ. डिवाइसों को कहीं भी और कभी भी इस्तेमाल करने की सुविधा, छात्र-छात्राओं और उनके परिवार के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद है. तानोय इस बात से खुश हैं कि उन्हें अहम फ़ैसलों में शामिल किया जाता है. वे, कॉलेज की तरफ़ से मिलने वाली वित्तीय और तकनीकी सहायता के लिए, कॉलेज को धन्यवाद देते हैं.